कुर्सियों के पीछे छेद क्यों होते हैं, वजह जानकर चौंक जाएंगे आप

नई दिल्लीः मॉडर्न जमाना कुर्सियों का है, जिन पर लोग खूब बैठना पसंद करते हैं. घर से लेकर ऑफिस तक में कुर्सियां ही ज्यादा मिलती हैं. पहले लोग अपने चबूतरों और बालकनी में चारपाई डालते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. आज हम आपको कुर्सी से जुड़ा एक रोचक तथ्य भी बताने जा रहे हैं. आपने देखा होगा कि अधिकतर प्लास्टिक की कुर्सियों के पीछे एक छेद होता है.

अधिकतर लोग इसे डिजाइन का हिस्सा मानते हैं. लेकिन डिजाइन के साथ-साथ और भी वजह हैं. इसके पीछे व्यावहारिक कारण भी महत्वपूर्णमाना जाता है. यह कारण भी ऐसा दो दिलचस्प रहता है. इनमें से एक मुख्य कारण उन्हें एक के ऊपर एक रखने से जुड़ा रहता है. जब प्लास्टिक की कुर्सियों को ऊपर एक रखा जाता है तो उनके बीच हवा फंस सकती है जिसकी वजह से सक्शन पैदा होता है. कुर्सियों को अलग करना काफी मुश्किल हो जाता है.

प्लास्टकि की कुर्सियों में छेद की क्या वजह?

प्लासिटक की कुर्सी में हवा आसानी से निकलने की वजह के चलते भी छेद बनाए जाते हैं. इससे कुर्सियां आपस में चिपक जाती हैं. उन्हें खींचकर अलग करना आसान हो जाता है. एक और कारण निर्माण प्रक्रिया में निहित है. प्लास्टिक की कुर्सिया गर्म प्लास्टिक को साचों में डालकर बनाने का काम किया जाता है. छेद कुर्सी को सांचे से आसानी से निकालने में सहायता कर सकता है.

इस प्रक्रिया के दौरान नुकसान का जोखिम कम रहता है. वहीं, यह छोटा सा छेद कुर्सी के वजन को भी कम करता है. मतलब प्लास्टिक की जरूरत काफी कम रहती है. इससे उत्पादन लागत कम हो जाती है. हालांकि, यह छोटी सी बचत मामूली लग सकती है, लेकिन जब लाखों कुर्सियां निर्यात के लिए बनाई जाती हैं. एक छोटी सी बचत भी काफी बड़ा फायदा करवाती है.

हवा का संचार रहता बेहतर

जानकारी के लिए बता दें कि कुर्सी पर बैठे हुए शख्स के लिए हवा का संचार भी काफी बढ़िया बनाने का काम करता है. इससे पसीने से होने वाली असुविधा से बचा जा सकता है. किसी वजह से अगर कुर्सी पर पानी गिर भी जाए, तो वह सतह पर इकट्ठा होने के बजाय छेद से आसानी से बाहर निकल जाता है.

जैसा की जानकारी होती है कि कोई भी डिजाइन तत्व कभी भी पूरी तरह से बेतरतीब नहीं होता है. कुर्सी में छेद जैसी छोटी सी चीज भी कई महत्वपूर्ण उद्देश्यकों को पूरा करने का काम करती है.

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