Gold Price Today: दिल्ली-मुंबई में 24k, 22k -कैरेट सोना कितना हुआ? चांदी के दाम में गिरावट जानें शहरवार लेटेस्ट रेट

Gold Rate, silver price : हल्की हवा के झोंके की तरह आई सोने-चांदी की कीमतों में गिरावट ने निवेशकों के मन में एक नया सवाल खड़ा कर दिया है। सोमवार की सुबह जब बाजार खुले, तो गुडरिटर्न्स वेबसाइट के आंकड़ों ने बताया कि 24-कैरेट सोना 10 रुपये सस्ता हुआ है और दस ग्राम की कीमत 1,25,610 रुपये पर आ गई है। वहीं, चांदी ने 100 रुपये की गिरावट दर्ज करते हुए एक किलोग्राम का भाव 1,54,900 रुपये कर लिया।

ये आंकड़े सिर्फ एक संख्या नहीं हैं, बल्कि वैश्विक बाजार की那些 धड़कनों और देश की आर्थिक भावनाओं का आईना हैं। आइए, सतह के नीचे झांकते हैं और समझते हैं कि आखिर क्यों डगमगा रहे हैं सोने-चांदी के दाम, और आपके लिए इसके क्या मायने हैं।

भारतीय बाजार का हाल: शहर-दर-शहर नजरिया

सोने का भाव उसकी शुद्धता और शहर के द्वारा थोड़ा-बहुत घटता-बढ़ता रहता है। यह अंतर मुख्य रूप से राज्यों के अलग-अलग बिक्री कर (Sales Tax) और परिवहन लागत के कारण होता है।

  • 24-कैरेट सोना (10 ग्राम): यह सबसे शुद्ध रूप माना जाता है और ज्वैलरी से ज्यादा निवेश के लिए प्रयोग होता है।

    • मुंबई, कोलकाता, चेन्नई: ₹1,25,610

    • दिल्ली: ₹1,25,760

  • 22-कैरेट सोना (10 ग्राम): यह वह सोना है जिससे ज्यादातर भारतीय ज्वैलरी बनाई जाती है, क्योंकि यह 24-कैरेट के मुकाबले ज्यादा मजबूत होता है।

    • मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई: ₹1,15,140

    • दिल्ली: ₹1,15,290

  • चांदी (1 किलोग्राम):

    • दिल्ली, कोलकाता, मुंबई: ₹1,54,900

    • चेन्नई: ₹1,69,900 (चेन्नई में कीमत अक्सर आयात और अन्य लागतों के कारण देश के दूसरे हिस्सों से अलग रहती है।)

ये आंकड़े दिखाते हैं कि गिरावट हल्की जरूर है, लेकिन यह पूरे देश में देखने को मिल रही है, जो एक राष्ट्रीय ट्रेंड की ओर इशारा करता है।

वैश्विक बाजारों में क्यों डगमगा रहा है सोना?

भारत में सोने के दाम काफी हद तक अंतरराष्ट्रीय बाजार (जहाँ सोना डॉलर प्रति औंस में बिकता है) और रुपये-डॉलर की विनिमय दर पर निर्भर करते हैं। आज की गिरावट के पीछे कुछ प्रमुख वैश्विक वजहें हैं:

  1. डॉलर का मजबूत होना: अमेरिकी डॉलर ने येन के मुकाबले दो हफ्ते के उच्चतम स्तर को छू लिया है। जब डॉलर मजबूत होता है, तो दूसरे देशों के लिए सोना खरीदना महंगा हो जाता है, क्योंकि इसकी कीमत डॉलर में तय होती है। इससे मांग घटती है और कीमतों पर दबाव बनता है।

  2. अमेरिका-चीन व्यापार तनाव में कमी: दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापारिक रिश्तों में सुधार के संकेत मिले हैं। सोना एक ‘सुरक्षित पनाहगार’ (Safe Haven) परिसंपत्ति मानी जाती है, यानी जब दुनिया में अनिश्चितता और तनाव बढ़ता है, तो लोग सोना खरीदते हैं। तनाव कम होने से निवेशक जोखिम भरी परिसंपत्तियों (जैसे शेयर बाजार) की ओर रुख करते हैं और सोना से पैसे निकाल लेते हैं।

  3. केंद्रीय बैंकों की बैठकों का इंतजार: इस हफ्ते दुनिया के कई प्रमुख केंद्रीय बैंकों (जैसे अमेरिकी फेडरल रिजर्व) की बैठकें होनी हैं। निवेशक इन बैठकों के नतीजों का इंतजार कर रहे हैं, खासकर ब्याज दरों को लेकर। ब्याज दरों में बदलाव का सोने की कीमत पर सीधा असर पड़ता है। इस अनिश्चितता के चलते भी बाजार में स्थिरता नहीं है।

इन्हीं कारणों से अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना स्पॉट कीमत 0.5% गिरकर 4,092.76 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया।

भारत और एशिया में सोने की ‘फिजिकल’ मांग का क्या हाल है?

सोना सिर्फ एक निवेश नहीं, बल्कि एक भावना और संस्कृति का हिस्सा है। इसलिए यहां की स्थानीय मांग की अपनी अलग कहानी है।

  • भारत: पिछले हफ्ते भारत में सोने की फिजिकल मांग (ज्वैलरी और सिक्के के रूप में खरीदारी) में कमी देखी गई। ऐसा इसलिए क्योंकि खरीदार और ग्राहक और ज्यादा गिरावट की उम्मीद कर रहे हैं। भारतीय उपभोक्ता चतुराई से काम ले रहे हैं और सोने के दामों के और गिरने का इंतजार कर रहे हैं ताकि वे कम कीमत पर खरीदारी कर सकें।

  • चीन और सिंगापुर: भारत के उलट, चीन और सिंगापुर में कीमतों में गिरावट ने खरीदारी में रुचि पैदा की है। वहां के निवेशक और ग्राहक इस गिरावट को एक अच्छा ‘डिस्काउंट’ मान रहे हैं और खरीदारी कर रहे हैं। यह दिखाता है कि बाजार की मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रिया हर जगह एक जैसी नहीं होती।

निवेशक के नजरिए से: अब क्या करें?

यह सवाल हर उस व्यक्ति के मन में है जो सोने-चांदी में पैसा लगाता है। यहां दो पक्ष हैं:

  • लॉन्ग-टर्म निवेशक के लिए: थोड़ी गिरावट को ‘डिप में खरीदारी’ (Buying on Dips) का मौका माना जा सकता है। ऐतिहासिक रूप से देखें तो सोना लंबे समय में हमेशा एक मजबूत परिसंपत्ति साबित हुआ है जिसने मुद्रास्फीति (Inflation) के मुकाबले पैसे की कीमत बरकरार रखी है। त्योहारों और शादियों का सीजन आने वाला है, ऐसे में यह गिरावट एक तरह का वरदान साबित हो सकती है।

  • शॉर्ट-टर्म ट्रेडर के लिए: अगर आप सोने-चांदी में शॉर्ट-टर्म ट्रेडिंग करते हैं, तो सतर्कता जरूरी है। वैश्विक बाजार में अभी भी अनिश्चितता का माहौल है। डॉलर की ताकत और केंद्रीय बैंकों की बैठकों के नतीजे अगले कुछ दिनों में बाजार की दिशा तय करेंगे। ऐसे में जोखिम कम रखना समझदारी होगी।

सलाह: अपनी जोखिम सहनशीलता को समझें और किसी भी तरह का निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से जरूर सलाह लें।

निष्कर्ष: गिरावट एक ‘पड़ाव’ है, ‘मंजिल’ नहीं

सोने-चांदी की कीमतों में आई यह गिरावट बाजार का एक स्वाभाविक उतार-चढ़ाव है। यह उस चक्र का हिस्सा है जिससे बाजार गुजरता रहता है। अगर आप एक सजग निवेशक या खरीदार हैं, तो यह गिरावट आपको बाजार की जटिलताओं को समझने का एक मौका देती है।

याद रखें, सोना सदियों से हमारी अर्थव्यवस्था और संस्कृति की रीढ़ रहा है। आज की यह मामूली गिरावट इसकी चमक को लंबे समय के लिए कम नहीं कर सकती। फिलहाल, नजर दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों और डॉलर की रफ्तार पर टिकी हुई है। अगला पासा उन्हीं के इशारे पर फेंका जाएगा। तब तक, सूचित रहें और समझदारी से निर्णय लें।